दूसरा पहलू – Moral Story in Hindi, Hindi Kahani, Dusra Pahlu
दूसरा पहलू एक पिता और पुत्र की कहानी है. इस कहानी में आप जानेंगे कि हमें हर समस्या को हल करने से पहले उसका दूसरा पहलू भी देख लेना चाहिए. कभी-कभी मुश्किल समस्या का भी एक दूसरा पहलू होता है. जो काफी आसान होता है. लेकिन हम उसे नजरंदाज कर देते हैं. जिससे हमें उसे हल करने में काफी मुश्किलें आती है. तो आइये पढ़ते हैं ये कहानी.
एक बार एक आदमी अपना कोई जरूरी काम कर रहा था. लेकिन उसका दस साल का बेटा बीच-बीच में आकर उसे बार-बार परेशान कर रहा था। उस आदमी ने कई बार अपने बेटे को मना किया. लेकिन फिर भी वह नहीं माना। तभी उस आदमी ने एक तरीका निकाला.
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उस आदमी ने अपने पास ही रखी एक किताब उठाई और उसमें से विश्व का एक नक्शा फाड़ लिया। इसके बाद उसने अपने बेटे से कहा कि मैं इस नक्शे के कुछ टुकड़े काट रहा हूं, तुम्हें इन टुकड़ों को जोड़कर यह नक्शा वापस बनाना है। उसका बेटा यह करने के लिए राजी हो गया।
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आदमी ने विश्व के नक्शे के टुकड़े करके बेटे को दे दिए और वह मन ही मन यह सोचकर खुश होने लगा कि अब वह कुछ घंटे आराम से अपना काम कर सकेगा. क्योंकि उसका बेटा नक्शा जोड़ने में व्यस्त रहेगा। बेटा नक्शे के टुकड़े लेकर चला गया और आदमी अपने काम में लग गया।
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कुछ मिनटों बाद ही उसका बेटा दौड़कर वापस उस आदमी के पास आया. और बोला कि पापा, मैंने नक्शा पूरा कर दिया है। बेटे की यह बात सुनकर आदमी को विश्वास ही नहीं हुआ। उसने अपने बेटे के हाथ से नक्शा लेकर देखा तो वाकई वह नक्शा पूरा हो चुका था।
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उसने बेटे से पूछा कि तुमने इसे इतनी जल्दी कैसे बना लिया? उसके बेटे ने कहा कि इसके पीछे एक कार्टून बना था। मैंने उसे ही जोड़ दिया और नक्शा आसानी से पूरा हो गया। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कई बार समस्या का दूसरा पहलू उसका आसान समाधान दे देता है।
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