नुकीले पत्थर – गुरु और शिष्य की कहानी, Hindi Kahani, Moral Story in Hindi
नुकीले पत्थर एक गुरु और उनके कुछ शिष्यों की कहानी है. नुकीले पत्थर एक Moral Story है. जब गुरुजी अपने शिष्यों के लिए बाधा दौड़ आयोजित करते हैं. जिसमें सभी शिष्यों को नुकीले पत्थर पर से गुजरना होता है तब उनके साथ क्या होता है. ये जानने के लिए पढिए कहानी नुकीले पत्थर.
एक आश्रम में बहुत से शिष्य पढ़ा करते थे। एक दिन गुरु जी ने उन्हें बाधा दौड़ में भाग लेने को कहा। इस दौरान उन्हें कहीं-कहीं से कूदकर निकलना था, पहले पानी से गुजरना था और फिर आखिर में उन्हें एक अंधेरी गुफा से गुजरना था।
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गुरु जी के इशारा करते हैं और दौड़ शुरू हो जाती है। सभी शिष्य तमाम बाधाओं को पार करते हुए उस अंधेरी गुफा के पास पहुंचे। जैसे ही उन लोगों ने गुफा में पैर रखे तो उन्हें असहनीय दर्द का अनुभव हुआ। दरअसल गुफा में नुकीले पत्थर पड़े थे।
जैसे-तैसे करके सभी शिष्यों ने गुफा से गुजरकर अपनी दौड़ खत्म की और गुरु जी के समक्ष पहुंचे। गुरु जी ने पूछा कि आपमें से कुछ ने लोगों ने गुफा जल्दी पार कर ली, तो कुछ ने थोड़ा समय लिया और कुछ ने ज्यादा समय लिया। ऐसा क्यों हुआ?
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शिष्यों ने बताया कि कुछ शिष्य एक – दूसरों को धक्का देकर आगे निकल रहे थे, तो कुछ शिष्य संभल-संभलकर आगे बढ़ रहे थे, वहीं कुछ शिष्य पत्थरों को उठाकर अपनी जेब में रखते हुए आगे बढ़ रहे थे ताकि यहां से गुजरने वाले दूसरे शिष्यों को पीड़ा न हो।
तब गुरु जी ने पत्थर उठाने वाले अपने शिष्यों से उस पत्थर देखने के लिए कहा। जब उनके शिष्यों ने अपनी जेब से उस पत्थर को निकालकर देखा तो वह असल में हीरे थे।
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गुरु जी ने उन शिष्यों को वह हीरे इनाम में दे दिए और कहा कि सबसे समृद्ध वही होता है जो इस भागम-भाग में भी दूसरों की भलाई सोचता है। नुकीले पत्थर की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि आप अपनी दौड़ तो जरूर दौडिए, लेकिन दूसरों के भले के बारे में भी जरूर सोचिए।
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