सच्ची मेहनत की करामात – Hindi Story, Hindi Kahani, Moral Story in Hindi
सच्ची मेहनत की करामात एक किसान की कहानी है. जब उसके एक बैल की मौत हो जाती है. तब उस किसान ने कैसे अपने खेत की बुआई की. सच्ची मेहनत की करामात में यही दिखाया गया है. सच्ची मेहनत की करामात ही थी कि उसके खेत में अनाज की जगह मोती उगे थे. तो आइये पढ़ते हैं पूरी कहानी.
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किसी गांव में एक किसान रहता था। उसकी थोड़ी-सी खेती-बाड़ी थी। उससे उसे जो कुछ मिल जाता, उसी से वह अपनी छोटी-सी गृहस्थी की गुजर-बसर कर लेता था। कभी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाता था। संयोग की बात थी कि उस किसान का एक बैल मर गया। बेचारा बड़ी परेशानी में पड़ गया। खेत को बोना जरूरी था, पर बोए कैसे? बैल तो एक ही रह गया था। उसने बहुत सोचने के बाद एक फैसला किया। हल के जुए में एक ओर बैल जोता और दूसरी ओर अपनी स्त्री और फिर काम करने लगा।
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उसी समय वहां का राजा अपनी रानी के साथ रथ पर उधर से गुजरा। अचानक उसकी निगाह हल पर गई, जिसके जुए में एक तरफ बैल और दूसरी तरफ स्त्री थी। उसे बड़ा अचरज हुआ, साथ ही दुख भी। उसने रथ को रोका और किसान के पास जाकर कहा-“यह तुम क्या कर रहे हो?” किसान ने निगाह उठाकर उसकी ओर देखा और बोला-“मेरा एक बैल मर गया है और खेत को बोना जरूरी है।” राजा ने कहा- “भलेमानस! कहीं स्त्री से भी बैल का काम लिया जाता है?” किसान बोला-“क्या करूं और उपाय ही क्या है?”
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“उपाय!” राजा ने कहा- “तुम मेरा एक बैल ले लो। जाओ!” किसान बोला-“मेरे पास इतना समय नहीं है।” इतना कहकर उसने बैल को आगे बढ़ा दिया। राजा ने कहा- “सुनो भाई! तुम अपनी स्त्री को बैल लाने भेज दो। जब तक वह आए, तब तक मैं उसकी जगह काम करूंगा।” किसान की स्त्री ने कहा-“तुम तो बैल देने को तैयार हो, पर तुम्हारी औरत ने इंकार कर दिया तो?” राजा बोला-“नहीं ऐसा नहीं होगा।” किसान राजी हो गया.
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उसकी स्त्री बैल लेने चली गई और राजा ने हल का जुआ अपने कंधे पर रख लिया। किसान की स्त्री ने जब रानी के पास जाकर राजा की बात कही तो वह बोली बहन! एक बैल से कैसे काम चलेगा! तुम्हारा बैल कमजोर है। हमारा बैल मजबूत है। दोनों साथ काम नहीं कर सकेंगे। तुम हमारे दोनों बैलों को ले जाओ।” स्त्री बड़ी लज्जित हुई उसे तो डर था कि वह कहीं एक बैल भी देने से इंकार न कर दे। यहां एक छोड़, दोनों को देने के लिए रानी तैयार थी।
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स्त्री बैल लेकर आई और पूरे खेत की बुवाई हो गई। कुछ समय बाद फसल उगी। किसान ने देखा तो उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। सारे खेत में अनाज पैदा हुआ, लेकिन जितनी जमीन में राजा ने हल चलाया था और उसका पसीना गिरा था, उतनी जमीन में मोती उगे थे। यह सच्ची मेहनत की करामात ही थी। जहां राजा जनता की सेवा में अपना पसीना बहाता है, वहां ऐसा ही फल मिलता है।
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